मेरे प्यारे दोस्तों, नव वर्ष २०१९ की हार्दिक शुभकामनाये। एक रचना आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।
"स्वाद"
कुछ वक़्त काटकर तेरे लिये छोड़ रक्खा है।
तेरा इरादा न सही, मेरा मिलने का पक्का है।।
रूह ठंडी-ठंडी सांसों में निढ़ाल सी पड़ी
आ धमकी न जाने कहाँ से मुश्किल घड़ी
कोई आहट कानों में गूंजे वार्ना धक्का है।
इस छोर से उस छोर तक मसले ही मसले हैं
दिल में जली-कटी कुछ हरी-भरी फसलें हैं
उम्मीदों के भले-बुरे स्वादों में "रत्ती" कड़वा ही चक्खा है।