हाज़मा ठीक नहीं है
जब किसी बात की तह में हम जाते हैं
तब पता चलता है
और एक कारण से सामना होता है
अन्तर्मन में ज्वार - भाटा की तेज़ गति, उथल - पुथल,
भयानक हलचल, चुभती तीव्रता का आभास होता है
जब बचपन में जी रहे थे तो हर समय प्रसन्नचित्त रहते थे
न किसी का भय, न चिंता, न किसी की पीठ पीछे उसकी बातें
अब सब उल्टा है, ज्यों-ज्यों उम्र के कदम आगे बढ़ते गये
मस्तिष्क में ईर्ष्या, क्रोध, रिश्तों में दरारें
साफ़ स्पष्ट दिखने लगीं
सोच विचारों के उलझते बालों का मटमैला गुच्छा
ये कह रहा था सब कुछ सामान्य नहीं है
व्यथा की दर्द भरी कथा, चेहरे का फीकापन,
मंद मुस्कान की गवाही ही काफी थी ये बताने के लिये
जीवन नैय्या बहुत हिचकोले खा रही है
बड़ी माथा-पच्ची की, इर्द-गिर्द देखा
कौवे काँव -काँव कर रहे थे, शेर यकायक गुर्रा रहे थे
लोमड़ी हर घर में तांक-झांक कर रही है
काँव - काँव और झाँकने में सुख को ढूंढती है
क्या किसी की अंदरुनी बातों को ज़हन में
रखने से ब्याज मिला है ?
आश्चर्य है बुद्धि में अच्छे सोच विचार, नेक नियती की बातें,
और ज्ञान के भंडारों पर पर्दा डाल रखा है
उसके स्थान पर मन को विषैला करनेवाली बातें,
तुच्छ विचार, मीन-मेख निकलने की नयी-नयी तरकीबों के
कूड़े के ढेर को बहुत ईमानदारी से सजा रखा है
और ये कूड़े के अम्बार उल्टी के रूप में बहार निकलते हैं
और अड़ोस-पड़ोस के वातावरण को ख़राब करते हैं
एक चिंगारी के फैलते ही गाली-गलौज, घूंसे थप्पड़ों की बौछार
गालों पर और पीठ पर, कभी-कभी गरम हवाओं में डंडे लहराने लगते हैं
"रत्ती" भर भी कभी हमने सोचा है इसका कारण,
क्योंकि लोगों का "हाज़मा ठीक नहीं है"......
यही सबसे बड़ा दोष है मनुष्यों में
विश्व में दुखों की भरमार और सुख की कमी है......