लौ जगा
इक लौ जगा अपने दिल में
जगमग जगमग बनी रहे
ख़ुशहाली से नहीं राबता
उदासी मन में जमी रहे
बहकी अलसाई आंखें
हर बात पे मुझको टोकें
अम्बर तल्खियों का फैला
प्यार की हरपल कमी रहे
काँटों की खेती न करो
ज़ख्मों को न दो दावत
रिश्ते रहें सदा सलामत
प्रीत की बरखा घनी रहे
काले साये क्यों लहराये
हसीं के बदल उड़ गये
नूर आँखों का धुँधला है
"रत्ती" भौहें सदा तानी रहे
इक लौ जगा अपने दिल में
जगमग जगमग बनी रहे