गीत - १
चल तू भी उसी डगर पेजहाँ तेरी हो सुनवायीदुःख के बदल सब छुप जायेंदिल कहे अब शांति पायी
आस के पैर नहीं अब टिकतेवो रहनुमां थे नहीं दिखतेकई बार एहसास हुआ येबेवजह उदासी छायी
ये समां भी महंगा इतनासमझाऊँ मैं उसको कितनाछोड़ दे मुझे अकेलाकाहे तूने चोट लगायी
नज़रें लगीं ख़फा-ख़फा सीहर बात कड़वी दवा सी"रत्ती" थोड़ी मिठास भर देमन में ऐसी सोच न आयी
चल तू भी उसी डगर पेजहाँ तेरी हो सुनवायी …..
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