झूठे ख़ाब
झूठे ख़ाब
गुनगुनाने लगे, मुस्कूराने लगे
वो ख़ाब थे झूठे, समझाने लगे
आओ गले लग जाओ, सब छोड़ के,
मेरी रूह-ओ -जिस्म को, फुसलाने लगे
बहोत सी दूरियाँ, मुक़द्दर के खेल,
सुब्हो-शाम मुझे, डराने लगे
अजीब हरकतों का, मुझसे था वास्ता,
डगर-डगर क़दम, डगमगाने लगे
प्यार की ही थी, ताउम्र जुस्तजू ,
अपने-पराये हरपल, बहकाने लगे
हम ही थे उनकी, नज़रों के सामने,
मगर दिल के राबते, बेगाने लगे
देख के भी अनदेखा, फितरत थी उनकी,
दिल-ओ-जां को "रत्ती", वो जलाने लगे
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