मुझे जीने दो
मेरा जीवन, जीवन नहीं,
मेरी अपनी इच्छा का होना, न होना एक बराबर है,
और मेरी पीड़ा की चिंता कोई क्यों करे,
ये सुंदरता, ये सुगंध ही मेरे हथियार हैं,
जिनके बलबुते पर, मैं मानव को ही नहीं,
भंवरे, तितलियाँ और अन्य कीट-पतंगों को भी,
अपनी ओर आकर्षित करता हूँ,
सबके मन को मोह लेता हूँ ,
मानव मुझे चाहता है लेकिन,
उसका आचरण किसी कसाई से कम नहीं,
मेरी साँसे सुई की नोक से रोक कर,
अधमरा जीने को मजबूर करते हैं,
कितने स्वार्थी हैं सब,
दूसरों को प्रसन्न करने के लिये,
मेरे जीवन की बली देते हैं,
कभी किसी के गले का हार बना,
कभी पत्थर की मूरत के चरणों की शोभा,
किसी शवेत टोपीधरी मंत्री को भेंट,
स्वागत का पुष्प गुच्छ
और किसी मृत शरीर को ढकनेवाली,
फूलों की चादर,
और फिर काम पूरा होते ही,
कूडे़ के ढेर में .....,
हर फूल का भाग्य भी,
मनुष्य जैसा ही है,
ईश्वर ने हर किसी को,
उसके कर्मों के अनुसार फल दिया है,
मैं एक कोमल फूल हूँ,
जब तक कुम्हला न जाऊं,
तब तक मुझे डाल से न तोड़ें,
ये मेरी आप सब मनुष्यों से बिनती है,
फूल तोड़ने पर ऐसा प्रतीत होता है,
जैसे किसी बच्चे को माँ से छीन लिया हो,
मैं नन्हा सा फूल ही सही,
मुझे भी जीने का अधिकार है,
मेरा ये अधिकार न छीनो मुझसे,
मैं भी स्वतंत्र रहना चाहता हूँ ,
मुझे जीने दो ..... मुझे जीने दो .....,