दोस्ती
तपते सेहरा को बरखा, ठण्डी बहार चाहिये,
हमको जहाँ की दौलत नहीं, आपका प्यार चाहिये
लुका-छिपी खेलने का, बहाना नहीं चलेगा,
इन आंखों को हरपल, आपका दीदार चाहिये
हमें मन्ज़ूर है कांटों से, दोस्ती भी दुश्मनी भी,
दिल आपका नाज़ूक फूल, वो खुशबूदार चाहिये
रंज के ही सबब से, राबते बिखरे सभी,
रिश्तों में मज़बूती, और ऐतबार चाहिये
बदचलन न हों कभी, वादे-इरादे किसी के,
गुफ्तगू होती रहे, दोतरफा इज़हार चाहिये
ख़ुश्क चेहरे मायूसी को, देते रहेंगे दावत,
हल्की सी मुस्कान, मीठा सा ख़ुमार चाहिये
मेहबूब की यादों का, ज़िक्र होता रहे सदा,
लगे इबादत कर ली, रूबरू परवरदिगार चाहिये
मज़मून तो बस एक, मोहब्बत का पैग़ाम,
बनी रहे दोस्ती "रत्ती", हमसफर यार चाहिये
No comments:
Post a Comment