भोला बचपन
आज़ादी के बाद भी, इन्कलाब न हो सका,
हमारे बच्चों के वास्ते, एहतसाब न हो सका
मासूम भला क्या जानें, हयात की दुशवारियाँ,
कलम, दवात, किताब का, हिसाब न हो सका
एक मासूमियत ही, झलकती चेहरे पे,
किसी हरे-भरे चमन का, गुलाब न हो सका
ज़िन्दगी तीरगी में, क्या होगा हासिल,
अपने घर को रौशन करे, वो आफताब न हो सका
एक रद्दी चीज़ कोई, जैसे किसी घर की,
सड़क पर पड़ा संग, दुरे नायाब न हो सका
माना के ये वक़्त, बच्चों की मस्ती का,
बिना तालीम के कोई, कामयाब न हो सका
आज भी बरहनगी, देखी तंग गलियों में,
बदन ढकने का पूरा, खवाब न हो सका
मेरे मुल्क की तरक्की में, कई परेशानियां "रत्ती"
तालीम का बड़ा दायरा, दस्तयाब न हो सका
शब्दार्थ:
एहतसाब = प्रजा की रक्षा के लिये व्यवस्था करना, हयात = जीवन
दुशवारियाँ = कठिनाईयाँ, तीरगी = अन्धकार, आफ़ताब = सूर्य, संग = पत्थर
दुरे नायाब = अमूल्य मोती, तालीम = शिक्षा, बरहनगी = नग्नता,दस्तयाब = प्राप्त
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