इंतज़ार है
चान्दनी ख़ुबसूरत, गले मोतियों का हार है
सज-धज के निकली, नयी-नयी बहार है
चमके माथे की बिंदिया, झूमें कानों के झुमके,
चेहरा भी खिला-खिला, सुन्दर सिंगार है
महक रहा है तन-बदन, नाज़ का निशाँ नहीं,
रोम-रोम से बरस रहा, प्यार ही प्यार है
दिल चीज़ है ऐसी, मचलने लगा वो,
तुम्हारे लिये, तेरे वास्ते, ये बेक़रार है,
हर तरफ हरियाली, लहराते बाग़ भी,
ये सबा, ये फज़ां, लगे ख़ुश-गवार है,
तेरा दिदार, हर लम्हा मिलता रहे,
"रत्ती" ऐसे वक़्त का, मुझे इंतज़ार है
No comments:
Post a Comment