कब तलक
यादों के सहारे बैठे रहेंगे कब तलक,
आंखें थक गयी खुले न मेरी पलक
मेहरबां तुम्हें याद नहीं अपने वादे,
सपनों में ही सही दिखा दो एक झलक
एक चान्द को दिल में बसाया था मैंने,
वो चान्द जा बैठा बहोत दूर फलक
जो जाम आंखों से पिलाये वो थे रसीले,
"रत्ती" आज पीला दो मेरा सूखा है हलक
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