दिल दुखाते रहे
उस हसीं रात के जलवे याद आते रहे
हम सिसक-सिसक के अश्क़ बहाते रहे
बरगद पे परिन्दे चहकते संदेस देते
ज़रा आँख बंद होती वो जगाते रहे
सरपट दौड़ना बचपन में रास आता था
अब ख्वाबों में सब लोग नचाते रहे
अब तलक कई मंज़र देख चुके हैं
सुकून भरे कम बाकी दिल दुखाते रहे
दर्द के दरिया भी बहते देखे "रत्ती"
किरनों की दस्तक के साथ नहलाते रहे
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