वो सिर्फ रुलायेगा
अगर कोई न आया तो ग़म तो आयेगा
धीरे-धीरे वक़्त-बेवक़्त जी को जलायेगा
प्यार से ये दिन कट जाये तो अच्छा है
ज़माना भी बेरहम है आईना दिखायेगा
तुम सांस लो या न लो किसी को परवाह नहीं है
मौका मिलते ही वो सर पे चढ़ जायेगा
उसकी नज़र में वफ़ा की कीमत सिफर ही है
जिसके पास सिक्के होंगे उसे गले लगायेगा
इधर बहुत सी उलझनें और पेच खड़े हैं
देखना नज़रअंदाज़ करके वो चला जायेगा
अजी छोड़िये प्यार मोहोब्बत की बातें सारी
जहाँ ढेरों बुलबुले हों रिश्ता टूट ही जायेगा
इक नया पैग़ाम है सुनायेंगे नवाब साहब
मैं खूब जानता हूँ "रत्ती" वो सिर्फ रुलायेगा
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