Wednesday, May 6, 2009

इंतज़ार है



इंतज़ार है


चान्दनी ख़ुबसूरत, गले मोतियों का हार है

सज-धज के निकली, नयी-नयी बहार है


चमके माथे की बिंदिया, झूमें कानों के झुमके,

चेहरा भी खिला-खिला, सुन्दर सिंगार है


महक रहा है तन-बदन, नाज़ का निशाँ नहीं,

रोम-रोम से बरस रहा, प्यार ही प्यार है


दिल चीज़ है ऐसी, मचलने लगा वो,

तुम्हारे लिये, तेरे वास्ते, ये बेक़रार है,


हर तरफ हरियाली, लहराते बाग़ भी,

ये सबा, ये फज़ां, लगे ख़ुश-गवार है,


तेरा दिदार, हर लम्हा मिलता रहे,

"रत्ती" ऐसे वक़्त का, मुझे इंतज़ार है


Monday, May 4, 2009

अधमरा

अधमरा

मैं वो गुल हूँ
जो खिला भी और नहीं भी
ज़िन्दा भी और नहीं भी

जो भी आया
नोचनेंवाला, मरोड़नेवाला,

दिन-रात ज़हर घोलनेवाला,
दरियादिल, नेकदिल
इंसान मिला भी और नहीं भी

उसनें क़सम खायी

सितम ढाने की, मुझे डुबाने की
बहुत कोशिशें की, जिंदा लाश बनाने की
ख़ुदा का शुक्र है, कुछ हद तक

मैं मरा भी और नहीं भी

वादे ढेरों वादे

देखते-देखते, सुनते-सुनते
सपनो के जाल, बुनते-बुनते
वादा फक़त वादा ही रहा,
सपना पूरा हुआ भी और नहीं भी

तन्हा दिल बोल उठा

तन्हाई में मजबूरियों से
किया सलाह-मशविरा, बढ़ती दूरियों से
रातभर करवटें, मैं बदलता रहा
रतजगा सोया भी और नहीं भी

सब दिन ख़ौफ भरे

निवाला छिनने का डर
सहमा ही रहा ज़िन्दगी भर
गुमशुदा हिम्म्त की तलाश में,
बेदम "रत्ती" ज़मीं पे गिरा भी और नहीं भी

चुनाव


चुनाव

भारत के लोकतंत्र का, क्या करूँ बखान,
भोली जनता क्या करे, पल्ले पडे़ बेईमान,
तुम हो महान नेताजी, तुम हो महान .....

मुँह उठाये फिर चले आये,
छुटभैये, चमचों से पर्चे बटवाये,
रंग-बिरंगे झण्डे फहराये,
इक्के-दुक्के काम गिनवाये,
मांग रहे हमसे मतदान,
भोली जनता क्या करे, पल्ले पडे़ बेईमान .....

पुराने वादे न दोहराओ,
घिसे-पिटे भाषण न सुनाओ,
धर्म का ज़हर न फैलाओ,
पाँच साल का हिसाब बताओ,
कितने किये अच्छे काम,
भोली जनता क्या करे, पल्ले पडे़ बेईमान .....

भाजप, कांग्रेस, समाजवादी,
ओढे रहो भईया सफेद खादी,
हर काम की तुमको आज़ादी,
होती है होने दो बर्बादी,
इसका है किसी को अनुमान,
भोली जनता क्या करे, पल्ले पडे़ बेईमान .....

सुस्त क़ानून व्यवस्था हमारी,
तिस पर महंगायी, बेरोजगारी,
सुरक्षा, शिक्षा की कमी भारी,
रिश्वत भी लाइलाज बिमारी,
पिस रही जनता हैं सब परेशान,
भोली जनता क्या करे, पल्ले पडे़ बेईमान .....

फेल हो तुम चौथा दर्जा,
फिर भर दिया तुमने पर्चा,
कौन भरेगा चुनाव का खर्चा,
देश पर बढेगा भारी कर्जा,
ख़ूब रौशन किया भारत का नाम,
तुम हो महान नेताजी, तुम हो महान .....

कौन सुखी है बोलो आज,
एक सपना है रामराज,
राम भरोसे सब कामकाज,
खीझ है मन में, हैं सब नाराज़,
"रत्ती" बचाये सबको भगवान,
भारत के लोकतंत्र का, क्या करूँ बखान,
भोली जनता क्या करे, पल्ले पडे़ बेईमान,
तुम हो महान नेताजी, तुम हो महान .....