Monday, May 31, 2010

रूसवाई

रूसवाई



बड़े बेरहम होते हैं रूसवाई के रास्ते,
वो खोज रहा है अपनी रिहाई के रास्ते


एक जोश  था अजीब जुनूँ था उसे परवाज़ का,
न जुर्रत कर सका देखे तमाशाई के रास्ते


एक मज़बूत क़फ़स में सिमट गया है जिस्म उसका,
जौफ में ढून्ढता है वो तवानाई के रास्ते


वक़्त  बेवक्त जगाते  पहरेदार अरमानों को,
याद आते हैं अपनी बेनवाई के रास्ते


न वाकिफ अन्जाम से खतावार मुमकिन नहीं,
दोज़ख से भी हिरासां तन्हाई के रास्ते


जुर्म से झूक जाता है सर इज्ज़तदार का,
कहाँ खो गये ''रत्ती'' बेरियाई के रास्ते


शब्दार्थ 
जौफ = कमज़ोर, तवानाई = ताक़त, शक्ति 
बेनवाई = कंगाली, बेरियाई = निष्कपटता