Monday, June 13, 2011

रिश्ते

"रिश्ते"


रिश्ते इस धरा पर जन्म लेते ही

ख़ुद-बखुद बन जाते हैं

बीज अंकुरित हुआ, तना, शाखाएं,

अपने आप बढने लगी

पर ये भी सच है

सम्बन्ध सदा एक से नहीं रहते

गिरगिट की तरह रंग बदल ही जाता है

बेकार की बातें दरारों की जननी हैं

उलझनों के तूफ़ान उठते हैं

वातावरण में चिंगारियां उड़ती

दिखाई देती हैं

रातों की नींद, सुबह का चैन

खुले गगन में कहीं खो जाता है

एक प्यार भरी नज़र

दो मीठे बोल

थोड़ी सी चुटकी भर मुस्कान

का स्वादिष्ट तड़का

जीवन में रिश्तों को

संवार सकता हैं

दिन में खुशियाँ, शाम को रंगीन

बना सकता है

और यह भी याद रहे भ्रम के लिए

तिनके जितनी भी जगह न मन में रहे

और हजारों रिश्तों में सच्चा रिश्ता

नीली छतरी वाले से,

परवरदिगार से, वाहेगुरु से, इश्वर से, इसा से

ये भी सच है

संसार का रिश्ता

आँख मूंदते ही

टूट कर बिखर जाता है .....