रूसवाई
बड़े बेरहम होते हैं रूसवाई के रास्ते,
वो खोज रहा है अपनी रिहाई के रास्ते
एक जोश था अजीब जुनूँ था उसे परवाज़ का,
न जुर्रत कर सका देखे तमाशाई के रास्ते
एक मज़बूत क़फ़स में सिमट गया है जिस्म उसका,
जौफ में ढून्ढता है वो तवानाई के रास्ते
वक़्त बेवक्त जगाते पहरेदार अरमानों को,
याद आते हैं अपनी बेनवाई के रास्ते
न वाकिफ अन्जाम से खतावार मुमकिन नहीं,
दोज़ख से भी हिरासां तन्हाई के रास्ते
जुर्म से झूक जाता है सर इज्ज़तदार का,
कहाँ खो गये ''रत्ती'' बेरियाई के रास्ते
शब्दार्थ
जौफ = कमज़ोर, तवानाई = ताक़त, शक्ति
बेनवाई = कंगाली, बेरियाई = निष्कपटता
रत्ती साब ,
ReplyDeleteप्रणाम !
''एक जोश था अजीब जुनू था ,,, अच्छा लगा , अन्य शेर भी अच्छे है ,
साधुवाद
wahwa.....
ReplyDeleteNice.....
ReplyDeleteBehram rusvaee ke raste.....
aur kaheen kho gaye bereyaee ke bhee raste...
पहली बार आना हुआ पर बहुत अच्छा लगा. शब्द जीवंत हैं भाषा में लय और गति है जीवन की और मन में कुछ अनबुझे से सवाल क्यों ये सब कुछ पीछे छूट रहा है
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