Tuesday, February 9, 2016

मेरे वास्ते

मेरे वास्ते
 

शब खामोशियाँ अोढ़े 
फिर निकली 
सुब्ह चीखती हुई 
आ धमकी 
दिन दहाड़ता खौफ़ लिये 
दस्तक दे रहा 
शाम ग़मों से लिपटी 
सिसकने लगी 
कहीं कोई पल है मेरे वास्ते 
जो निजात दिलाएगा 
सुकून की तरफ ले जायेगा ....... 


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