Monday, June 16, 2008

जप हरि नाम - भजन

जप हरि नाम - भजन

जप हरि नाम तू प्यारे,
कमाई कर ले तू प्यारे।
जप हरि नाम .....

रतन जो राम-नाम का,
मीरा ने था कभी पाया।
रतन जो राम-नाम का,
तुलसी ने था पाया।
उसी पथ पर चलो तुम भी,
न भटको ओर कही प्यारे।
जप हरि नाम .....

है दुर्लभ मानुष देही,
न करना तू ज़रा देरी ।
है दुर्लभ मानुष देही,
न करना तू हेरा - फेरी ।
भूला दे जो समय बीता,
बचा जो भज ले तू प्यारे।
जप हरि नाम .....

गुरु की शरण में तू जा,
जीवन सफल कर अपना।
गुरु से प्रेम रस पाकर,
जीवन धन्य कर अपना।
वो मालामाल कर देगा,
"रत्ती" तू भी भज प्यारे।

जप हरि नाम तू प्यारे,
कमाई कर ले तू प्यारे।

1 comment: