उपरवाला
कोई सुन्दर सलौना, कोई कुरुप है,
अपनी-अपनी किस्मत है, अपना-अपना रुप है
तेरा ही अक्स है, तेरी ही खुशबू है सब में,
हर खु़बसूरत चीज़ तो, तेरा ही रुप है
हर वक़्त हर शै में, हरकत जो हो रही,
एक अहसास और ताक़त, ये अनोखा सुबूत है
इन नज़रों से न देखा, पर दिलों में बसता है,
इस बात का यकीं है, हमारा रिश्ता अटूट है
अमीर-ग़रीब के फासले, मेरी समझ से परे,
कोई खाने को मोहताज, कोई खाता मलाई दूध है
कहीं ज़लज़ले आ रहे, कहीं बंजर ज़मीं,
कहीं ठंडी हवा के झोंके, कहीं कड़ी धूप है
वो सरमायादार सबका, मालामाल करेगा तुझे भी,
"रत्ती" दो क़सीदे तू भी पढ़ दे, वो पिता तू पूत है
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