याद रहा
तुझसे नज़रें चुराना याद रहा,
वो गुज़रा ज़माना याद रहा,
मैं ग़म में सब भूल गया था,
उसका मुस्कूराना याद रहा,
वो शम्मां रातभर जलती रही,
करवटें बदल के सो जाना याद रहा,
गै़रों की ज़ुबां से तल्ख़ फूल गिरे,
उन कांटों का चुभ जाना याद रहा,
क्या दुआओं में असर है बाकी,
तेरे दर पे सर झुकाना याद रहा,
मयकशी ही एक दवा थी मेरी,
इसीलिये मैखाना याद रहा,
सुखे लब लिये मैख़ाने पहुंचा,
साक़ी का रूठ जाना याद रहा,
सब बलाओं से है शिकवा मेरा,
ज़िन्दा लाश बनाना याद रहा,
वादा करना और न निभाना,
ये दस्तूर पुराना याद रहा,
"रत्ती" सीने की तह में दर्द भरे थे,
खुशीयाँ न मनाना याद रहा,
बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteसुन्दर रचना है।
ReplyDeleteBhaut Sunder
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