Wednesday, June 3, 2009

भोला बचपन



भोला बचपन

आज़ादी के बाद भी, इन्कलाब न हो सका,

हमारे बच्चों के वास्ते, एहतसाब न हो सका

मासूम भला क्या जानें, हयात की दुशवारियाँ,

कलम, दवात, किताब का, हिसाब न हो सका

एक मासूमियत ही, झलकती चेहरे पे,

किसी हरे-भरे चमन का, गुलाब न हो सका

ज़िन्दगी तीरगी में, क्या होगा हासिल,

अपने घर को रौशन करे, वो आफताब न हो सका

एक रद्दी चीज़ कोई, जैसे किसी घर की,

सड़क पर पड़ा संग, दुरे नायाब न हो सका

माना के ये वक़्त, बच्चों की मस्ती का,

बिना तालीम के कोई, कामयाब न हो सका

आज भी बरहनगी, देखी तंग गलियों में,

बदन ढकने का पूरा, खवाब न हो सका

मेरे मुल्क की तरक्की में, कई परेशानियां "रत्ती"

तालीम का बड़ा दायरा, दस्तयाब न हो सका

शब्दार्थ:

एहतसाब = प्रजा की रक्षा के लिये व्यवस्था करना, हयात = जीवन

दुशवारियाँ = कठिनाईयाँ, तीरगी = अन्धकार, आफ़ताब = सूर्य, संग = पत्थर

दुरे नायाब = अमूल्य मोती, तालीम = शिक्षा, बरहनगी = नग्नता,दस्तयाब = प्राप्त

No comments:

Post a Comment