Saturday, July 31, 2010

संगदिल

संगदिल

संगदिल   बहोत   हैं  रहम   दिलवाले    नहीं  होते,
किसने देखा गोरे तन में मन काले नहीं होते।


चराग़    शहरों   में    चौबीसों    घन्टे   जलते    हैं,
पर   दिन  में   पहले    जैसे   उजाले   नहीं    होते।


मेरे   देश  में   ग़रीब  आज    भी   भूखे  ही सोते,
दो   वक़्त   पेट   भर  खायें    निवाले   नहीं   होते।


रावणराज  का   डंका   बाजे   भारत  में   ''रत्ती''
कुवैत   में    रामराज    वहाँ    ताले   नहीं    होते।


शब्दार्थ
संगदिल = पत्थर दिल

3 comments:

  1. OhWah! Behad khoobsoorat rachana...din me ujale nahi hote....kya anoothi baat kah dee!

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  2. संगदिल बहुत हैं रहम दिल वाले नहीं होते
    किसने देखा गोरे तन में मन काले नहीं होते

    वाह....वाह.....क्या बात है .....
    बहुत खूब .....!!!!

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