Friday, July 22, 2011

फक़त तुझे भुलाया

फक़त तुझे भुलाया 

चुन-चुन के तिनके, यहाँ तलक मैं आया,
उधार की ज़िन्दगी को, किसी तरह बचाया 

लाखों करम हैं मुझपे, उनका हिसाब नहीं हैं,
अगली सुब्ह फिर तेरी, चौखट पे मैं आया     

वादा खिलाफी तो मैं, हर रोज़ ही करता हूँ,
मुस्कूरा के नाचीज़ को, सीने से लगाया 

तू बाहें फैला के, इंतज़ार कर रहा है,
मेरी ही खता है, चेहरा अपना छुपाया

दुनियाँ का तो खौफ, तेरा ज़रा नहीं है,
तेरी हर बात नज़रअंदाज़ करता आया 

तेरे दम से ये आलम, महफूज़ चल रहा है,
ये हमारा ही कुसूर है, काँटों को बिछाया 

तेरे नाम की मय, बरस रही है जहां में,
अमृत छोड़ सबने, ज़हर का जाम उठाया 

कहीं भूले से कभी, सजदा भी करता हूँ,
दिल में बसी है दुनियां, तुझे बसा न पाया 

सारे आसरे सहारे, दम तोड़ रहे हैं, 
बुरे वक़्त में बस, खुदा ही याद आया 

हरेक राबता "रत्ती" ने, खूब है निभाया,
सबको याद रख के, फक़त तुझे भुलाया  

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