Tuesday, September 13, 2011

गीत - १

गीत - १  


समंदर यादों का भरा हुआ

हाय क्या हुआ ये क्या हुआ

क्या कुछ खो गया है

इक रोग हो गया है

खुबसूरत चेहरा डरा हुआ



जवां खाबों ने ली अंगडाइयां

लम्बी हैं बैरी तन्हाइयां

वक़्त भी है ठहरा हुआ

हाय क्या हुआ ये क्या हुआ .....



दर्द केह रहा ग़मों से अब

जिस्मो जां से जाओगे कब

इंतज़ार में ज़ख्म हरा हुआ

हाय क्या हुआ ये क्या हुआ .....



जाम की तरफ नज़र जाये

पी बहोत पर नशा न आये

मय है के पानी इसमें भरा हुआ

हाय क्या हुआ ये क्या हुआ .....



वस्ले यार की है बेक़रारी

लगी है दिल में चिंगारी

बुझाये ना बुझे बुरा हुआ

हाय क्या हुआ ये क्या हुआ .....

No comments:

Post a Comment