दर्पण
Thursday, May 9, 2013
अहमक़
अहमक़
क्या सोचता है तू
दूसरों के किरदार के बारे में
धोखेबाज़ हैं, खुदगरज़ हैं वो
खुदसिताई में जीने वाले
कभी भूले से ही
अपने गिरेबां को देख ले
तो मालूम होगा तुझे
सरे आलम में
तू सबसे बड़ा अहमक़ है .....
1 comment:
संगीता स्वरुप ( गीत )
Thursday, May 09, 2013
यही तो नहीं दिखाता किसी को :)
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यही तो नहीं दिखाता किसी को :)
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