Monday, September 1, 2008

रिश्ते

"रिश्ते"
वो बोले तुम से मेरे सारे रिश्ते नाते हैं,

मुझे वो शोला भी शबनम नज़र आते हैं


दो तरफा ज़ुबां का चलन जान गये हम,

मैं दूरी रखना चाहता हूँ वो क़रीब आते हैं


दौलत-ओ-हुस्न खींच लाता है सबको,

वरना कौन किसी को अपना बनाते हैं


पलकों पे बिठाने का इरादा था मेरा,

वो हर बार ही हमें दगा दे जाते हैं


रिश्ते क़ायम रखनें की नसीहत देते हैं,

रिश्ते जोड़नेवाले, तोड़ने की जहमत उठाते हैं


ख़ून के रिश्ते पे यक़ीं था भरोसा था "रत्ती"

दौलत की ख़ातिर बाप-बेटे उलझ जाते हैं

1 comment:

  1. Khoobsoorat Ghazal hai

    दो तरफा ज़ुबां का चलन जान गये हम,
    मैं दूरी रखना चाहता हूँ वो क़रीब आते हैं


    दौलत-ओ-हुस्न खींच लाता है सबको,
    वरना कौन किसी को अपना बनाते हैं

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