गुरु ( मुर्शिद )
मेरा दिल मिले दिलदार मिले,
एक चाहत है तेरा प्यार मिले
दुनियाँ के नज़ारे देखे बहोत,
बस मुझे तेरा दीदार मिले
मैं सफर में रहूँ या मकां में,
तेरी याद ज़हन में बरक़रार मिले
तेरे लिये मसरुफ रहूँ, खिदमत करूँ,
भले दुनियाँ में लानत हज़ार मिले
जो सजदा करते, इबादत करते,
उनकी होती फतह न हार मिले
तुम मेरे मुर्शिद हो, खु़दा हो,
ये फख्र मुझे सरकार मिले
तेरे क़रम, तेरे एहसान बहोत "रत्ती"
ऐसे रहमदिल परवरदीगार मिले
No comments:
Post a Comment