जोगी
राम की अमृत-वाणी रसीली,
कर लो पान इसका जोगी रे
वो घट-घट वासी सर्वत्र बसे,
करो ध्यान उसका जोगी रे
बन-बन घूमने से ना मिलेगा
सबके दिल में बसता जोगी रे
जगत के सारे काम हैं झूठे,
उसमें क्यों फसता जोगी रे
माया के लोभ कारन से ही,
रब से विमुखता जोगी रे
राम नाम रामबाण दवा है,
''रत्ती'' नहीं जपता जोगी रे
bahut badhiya ji
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