Monday, July 27, 2009

दूरियाँ

दूरियाँ

अपनी हथेली पर मेरा नाम लिखा,
फिर मिटा दिया
बोल मेरे साथी तूने ऐसा,
क्यों किया
है नफ़रत की दीवार दिल में,
गिरा दे उसे
सरे ज़माने को बता दे,
प्यार के सच्चे किस्से
भले दुनियाँ की दौलत दे दी,
प्यार न दिया तो क्या दिया
बोल मेरे साथी तूने ऐसा,
क्यों किया
अपनी हथेली पर मेरा नाम लिखा,
फिर मिटा दिया .....

मुझे गरज़ती, बरसती, काली,
सयाह रातें पसंद नहीं
तन्हाई में डर लगता है,
क्या तुम्हें लगता नहीं
बोल मेरे साथी तूने ऐसा,
क्यों किया
अपनी हथेली पर मेरा नाम लिखा,
फिर मिटा दिया .....

2 comments:

  1. सुन्दर रचना है बधाई स्वीकारें।

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  2. वाह!!! अनमोल रचना। बधाइ स्वीकारें।

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